नेताजी के सूत्र-वाक्य

  • शहीदों के अरमानों को पूरा करना है तो समाजवादी आन्दोलन को मजबूत करना होगा। दुनिया में जितने दुःख दर्द हैं वह समाजवादी व्यवस्था से ही दूर हो सकते हैं, दूसरा कोई और रास्ता नहीं है।
  • हमने अपनी सांस्कृतिक विरासत को ही खो दिया तो हम इतिहास के साथ धोखा करेंगे और अपने पुरखों को भी धोखा देंगे।
  • गांधी ने हमें जो रास्ता दिखाया है, वही देश के लिए सही रास्ता है। गांधीवादी रास्ते पर चलकर हमें डा0 लोहिया, आचार्य नरेन्द्रदेव और जय प्रकाश नारायण के समाजवादी सिद्धान्तों को साकार करना है। हमारा लक्ष्य है, समाजवाद लोकतंत्र और धर्म निरपेक्षता। इस लक्ष्य को पाने के लिए एक बड़े सामाजिक आर्थिक और राजनीति परिवर्तन जरूरत है।
  • बहस के माध्यम से ही लोकतंत्र चलता है। जो बड़े लोग होते हैं वे आलोचना अगर सही है तो उसे स्वीकार करते हैं, गलत है तो उसकी चिन्ता नहीं करते।
  • वायदों को पूरा करने का हमारा शानदार इतिहास रहा है। अपने वादे से पीछे हटना या वचन तोड़ना राजनीति का अक्षम्य अपराध है।
  • आज हिन्दुस्तान में करोड़ों लोग ऐसे हैं जो दो वक्त की रोटी भी पेट भरकर नहीं खा पा रहे हैं। इस हालत में क्या सिर्फ 20 पूँजीपति परिवारों के बल पर देश महाशक्ति बन जायेगा ?
  • हमने अपने संघर्ष और कुर्बानी से अपने पुरखों के इतिहास और उनकी गरिमा की रक्षा की है। देश आज इतिहास के कठिन मोड़ पर खड़ा है। ऐसे में यदि हम चुप बैठे रहे, जातिवाद, भ्रष्टाचार व साम्प्रदायिकता का महाराक्षस हमारी सभ्यता और संस्कृति को निगल जायेगा और अनगिनत बलिदानों से प्राप्त लोकतंत्र समाजवाद और धर्म निरपेक्षता की हमारी उपलब्धियाँ नष्ट हो जायेंगी।
  • देशभक्ति की भावना धीरे-धीरे खत्म हो रही है, राजनैतिक मूल्यों में गिरावट आई है, उसको स्थापित करता है।
  • आपका आचरण, आपका व्यवहार, फैसला, आपकी बोली किसी को खराब न लगे। जनता ही सबसे बड़ी ताकत है।
  • हिन्दी बड़ी बहन और उर्दू छोटी बहन है। इसी रिश्ते का हम लोगों को पालन करना है। राष्ट्रभाषा हिन्दी का विकास तभी संभव है जब सरकारी कामकाज से अंग्रेजी हट जाय।
  • हमारी भाषा नीति के बारे में स्पष्ट हो जाना चाहिए कि हम अंग्रेजी हटाना चाहते हैं, अंग्रेजी मिटाना नहीं। अगर कोई दूसरे देश की भाषा सीखना चाहे दूसरे देश का साहित्य पढ़ना चाहे तो इसका हम विरोध नहीं करते परन्तु अंग्रेजी सार्वजनिक जीवन से हटनी चाहिए क्योंकि जब तक अंग्रेजी रहेगी तब तक देशी भाषाओं का उत्थान और विकास संभव नहीं होगा। अंग्रेजी रहेगी तब तक शोषण होगा तथा बेईमानी और भ्रष्टाचार रहेगा।
  • यह महान देश नेताओं का नहीं जनता का है। देशवासी किस प्रान्त में कहां रहे, यह तय करने का काम किसी नेता का नहीं। जनता ही लोकतंत्र की आत्मा है।
  • समाजवादियों, जनहित के लिए सब कुछ सहने की आदत डालो जो लोग जनहित के लिए तकलीफ सहने की आदत नहीं डाल सकते वह समाज और देश की अच्छी सेवा नहीं कर सकते।
  • याद रखिए देश से बड़ा कोई नहीं होता, न घर, न परिवार, न कुर्सी और न आत्म सम्मान। इसलिए जिन्हें देश से प्यार है, वे अपने नेताओं पर और अपनी पसंद की राजनैतिक पार्टी पर निगाह जरूर रखें। उन्हें भटकने, निरंकुश होने तथा मनमानी करने से रोकें।
  • राजनीति से भले लोगों की उदासीनता अच्छी नहीं है। अच्छे लोग दिलचस्पी नहीं लेंगे। तो यह क्षेत्र खाली नहीं रहने वाला। खाली जगह में तो कोई भी आ सकता है। माफिया ही आ जायेगा। अच्छे लोगों के राजनीति में आये बिना राजनैतिक पतन को कैसे रोक सकते हैं।
  • जो कौमें अपने पुरखों के आदर्शों, इतिहास और कुर्बानी को भुला देती है, वह कौमें नेस्तनाबूत हो जाती है।
  • देश की अर्थव्यवस्था खेती पर निर्भर है। दुनियां के जितने भी सम्पन्न देश हैं, उन देशों ने हमेशा खेती को प्राथमिकता दी है।
  • विश्व स्तर पर जो भेदभाव और पक्षपात हो रहा है, उसे रोकने के लिए विश्व जनमत तैयार करना होगा। दुनिया से अन्याय, अशांति, हिंसा व आतंक मिटे। गैर-बराबरी हटे। हर देश को सम्मान के साथ पनपने का मौका मिले।
  • हमारी अर्थव्यवस्था पर विदेशी ताकतों का कब्जा हो रहा है। देश आर्थिक गुलामी की ओर जा रहा है। याद रखियेगा, आर्थिक गुलामी के सहारे हमेशा राजनैतिक गुलामी आती है। इससे मुल्क को बचाना पडे़गा। सावधान रहना पड़ेगा।
  • हमारी दिली इच्छा है कि इस देश में जिस तरह ऋषि-मुनियों को इज्जत की जाती है, उसी तरह, समाज को आजादी के योद्धाओं की इज्जत करनी चाहिए। उनकी स्मृतियों को सुरक्षित रखना चाहिए।
  • जीवन की दौड़ में जो समाज के पीछे रह गये, अपमानित हो रहे तथा बदहाली में जी रहे, आखिरी इंसान के चेहरे पर भी मुस्कान लाना ही हमारा सबसे बड़ा मकसद है। हमारी आजादी असली आजादी तब बन पायेगी, जब हम दूसरे लोगों उनके हालातों से निपटने और जीने लायक बना दें।
  • हमारा समाजवाद केवल समता ही नहीं, सम्पन्नता पर भी आधारित है।
  • हमने इंसाफ और इंसानियत की लड़ाई का फैसला किया है। इसलिए हम मानव और मानव के बीच भेद नहीं करेंगे। लेकिन जहाँ तक दलितों का सवाल है, गरीबों का सवाल है, निराश्रितों का सवाल है, उनके विकास के लिए हम विशेष अवसर देंगे।
  • सामाजिक व साम्प्रदायिक सद्भाव के लिए ऐसी स्थिति पैदा करनी होगी कि जहां पर मुसलमान की जान खतरे में हो, बहुसंख्यक हिन्दू अपनी जान देकर उसकी रक्षा करें और जहाँ हिन्दू की जान खतरे में हो अल्पसंख्यक मुसलमान अपनी जान देकर हिन्दू की रक्षा करें।
  • देश में अमीरों और करीबों के बीच की खाई समाजवाद ढंग से लागू न करने के कारण बढ़ती जा रही है।
  • हम अपना हक माँगते हैं और अगर नहीं मिलता है तो अहिंसा के रास्ते पर चलकर उसको हम छीनेंगे।
  • बाहर से पूँजी लाकर बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को विकास की जवाबदेही नहीं दी जा सकती। हमारे किसानों, कामगारों, दस्तकारों ने हजारों वर्षों से काम करने के जिस कौशल को हासिल किया है, उसे विज्ञान की समुचित उपलब्धियों से विकसित करना होगा।
  • देश को आर्थिक गुलामी से बचाइए, सवाल देश का है।
  • सरदार भगत सिंह पूरी तरह समाजवादी थे। उन्होंने किसानों, मजदूरों और नौजवानों के लिए एक महान देश का सपना देखा और सोचते थे कि अंग्रेजी हुकूमत के चलते यह सपना पूरा नहीं होगा। इसीलिए उस हुकूमत को हटाने के लिए उन्होंने अपने प्राण तक न्यौछावर कर दिये।
  • भविष्य में समाजवादी पार्टी को अहम भूमिका निभानी है। विश्व की स्थितियाँ बड़ी तेजी से बदल रही हैं। पुरानी व्यवस्था टूट रही है। नई व्यवस्था चुपचाप उभर रही है। इस समय विश्व की सबसे बड़ी आर्थिक शक्तियाँ जिस तरह नया सम्राज्यवाद चलाने सारी दुनियां को विशेष रूप से तीसरी दुनियां के देशों को अपनी मुट्ठी में लेने की कोशिश कर रही है, उसके खिलाफ एक जबरदस्त आंदोलन उठ रहा है। इस आंदोलन के इर्द-गिर्द दुनियां की सारी समाजवादी ताकतें एक जुट हो रही हैं।
  • नौजवान सिर्फ किताबी ज्ञान तक सीमित न रहें। शिक्षा ऐसी न हो कि दुकान बन जाये। आज हालत यह है कि मँहगी शिक्षा और सस्ती शिक्षा को लेकर दो तरह के वर्ग रहेंगे तो हमारे देश के जो गरीब और पिछड़े लोग हैं वह पिछड़े ही रह जायेंगे।
  • हम उन मूल्यों को बचाना चाहते हैं जो लोकतंत्र और समाजवाद के मूल्य हैं।
  • आज हिन्दुस्तान में करोड़ांे लोग ऐसे हैं जो दो वक्त की रोटी भी नहीं खा पा रहे हैं। कितने लोग हैं, जिन्हें महीनों से अरहर की दाल के साथ रोटी नहीं मिल रही है, यह हालत है हिन्दुस्तान की। इस हालत में क्या सिर्फ 20 पूँजीपति परिवारों के बल पर देश महाशक्ति बन जायेगा ?
  • आज समाजवादी पार्टी आगे निकले कि भूख के कारण हम किसी को मरने नहीं देंगे। चंदा इकट्ठा करके हमारे कार्यकत्र्ता गाँव में मोहल्ले में भूखे लोगों की भूख मिटाने में उनके काम आयेंगे तो वो परिवार आपको कभी भूलेंगे नहीं। हम केवल चुनाव की राजनीति नहीं कर रहे हैं। केवल सत्ता प्राप्त करने के लिए राजनीति नहीं कर रहे हैं।
  • मँहगाई का असर आज हिन्दुस्तान के सौ करोड़ लोगों पर पड़ रहा है। ज्यादा से ज्यादा 12-13 करोड़ लोग होंगे, जिन पर असर नहीं होगा।
  • राजनीति का मतलब है ऐसी नीति जिसमें राज्य की बागडोर इस तरह से चले और चलाई जाये कि इंसानों को इंसान समझा जाये। राजनीति का अर्थ रंजिश न समझा जाये। एक दूसरे को मिटाने और बर्बाद करने का भाव न हो।
  • साथियों, अगर नहीं लड़ोगे तो ज़ालिम और मजबूत हो जायेगा और तुम कमजोर हो जाओगे।
  • भारत की विदेश नीति अमेरिका के हाथ पूरी तरह बंधक हो गई है।
(ये वे सूत्रवाक्य हैं जिन्हें नेताजी ने विभिन्न अवसरों पर कहा है और जिनसे समाजवादी वैचारिकी प्रतिबिम्बित होती है।)